एटम बम परमाणु बम, जंग लड़ाई, विश्व युद्ध, बीमारी, जमीन धंसने, आसमान टूटने, कैसे भी लोग जाएँ तो आने वाला सतयुग देखेगा कौन

 जयगुरुदेव

प्रेस नोट: 24.11.2022 सीतापुर (उ.प्र)


विश्व के जिम्मेदारों से बराबर प्रार्थना है कि युद्ध, झगड़ा झंझट को टालो

प्रेमियों! कलयुग का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा शाकाहारी नशामुक्त लोगों को बनाओ, जान बचाने में लगो

निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, वक़्त के सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 21 नवंबर 2022 प्रात: सीतापुर (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कुछ लोग कहते हैं भजन ध्यान नहीं बनता है। कारण क्या है? कर्म आ जाते हैं। आंख, कान, हाथ, पैर नभ्या, जिभ्या आदि अंगों से बुरे कर्म बन जाते हैं तब यह मन पापी, कामी क्रोधी लोभी लालची हो जाता है। गुरु महाराज बहुत आसान सेवा बता गए। शाकाहारी का करो प्रचार। लोगों को शाकाहारी बनाओ, आने वाले खराब भयंकर समय से बचाओ, कलयुग में कलयुग जाने और सतयुग आने का ऐलान करो, प्रचार बता दिया।

सतयुग दिखाओ, लोगों को जान बचाना बहुत पुण्य का काम होता है

कलयुगी लोग या तो सतयुगी बनेंगे या तो कलयुग उनकी रगड़ाई करेगा, खत्म हो जाएंगे। कलयुग का प्रभाव असर तेजी से बढ़ रहा है। सब मर ही जाएं, चाहे बीमारी से, जमीन धंसने से, चाहे आसमान टूटने से, चाहे एटम बम परमाणु बम से, चाहे जंग लड़ाई से, चाहे विश्व युद्ध से सब मर ही जाए तो सतयुग कौन देखेगा? इसलिए सतयुग को दिखाओ लोगों को। जान बचाना बड़ा पुण्य का काम होता है।

विश्व के जिम्मेदारों से बराबर प्रार्थना है कि युद्ध, झगड़ा झंझट को टालो

महाराज जी ने 22 नवंबर 2022 प्रातः लखीमपुर में बताया कि जब युग बदलता है तो मरते बहुत हैं, जनधन की हानि बहुत होती है। लड़ाईयों में क्या होता है? बहुत मरते हैं इसीलिए तो विश्व के जिम्मेदारों से मेरी प्रार्थना बराबर रहती है कि युद्ध, झगड़ा झंझट को टालो। प्रेमियों से भी मैं कहता रहता हूं कि कम खाओ, दो बात बर्दाश्त कर लो, लड़ाई झगड़े से बचो। कम खाओ ताकि बीमारी नहीं आए, आराम से हजम हो जाएगा, ऑपरेशन से बच जाओगे। युग परिवर्तन के दौरान समय के महापुरुष समझाते हैं। लेकिन जब नहीं मानते हैं तब विनाश होता है। समय आने पर कलयुग, कलयुगी लोगों को अपने साथ ले जाएगा, रगड़ाई करता हुआ, मारता दौड़ता हुआ, दौड़ते-दौड़ते आदमी गिरता है, थक कर मर जाता है, ऐसे जब भगेगा तो वह तो ताकतवर है। आदमी कमजोर है तो भगदड़ मचेगी, एक-दूसरे के ऊपर गिर करके मरेंगे। लेकिन यदि सतयुग आ जाए और सतयुग का आनंद लेने वाले न रह जाए तो सतयुग लाने का मतलब क्या निकलेगा? सतयुग में सब शाकाहारी नशा मुक्त चरित्रवान अहिंसावादी दयावान परोपकारी सेवाभावी होंगे। कोई मांस मदिरा अंडे मछली की दुकान नहीं रहेगी, कोई हिंसा हत्या नहीं करेगा। तो उसके लायक बनो और लोगो को समझाकर बनाओ। 

हर युग में हर युग का प्रादुर्भाव होता है

त्रेता में भी कलयुग था। कब? जब यज्ञ कुंडों में राक्षस मांस के टुकड़ों को डालने लगे थे। जैसे आज जीव हत्या, अपराध करने में लोग संकोच नहीं करते हैं ऐसे उस समय का माहौल बन गया था। तब कलयुग जैसा वातावरण था। लेकिन त्रेता कब आया? जब राजगद्दी पर ठोकर मार राम ने जंगल जाना स्वीकार किया। अयोध्या के पढ़े-लिखे विद्वान धनी मानी लोगों ने उनका साथ नहीं दिया। छोटे-छोटे लोगों, बंदर भालूओ द्वारा बलशाली रावण को मारा तब भगवान कहलाये। 

जननी संग जाने पर नारी। 
धन पराय विष ते विष भारी।।

दूसरे के धन को जहर, मां-बहन को अपनी मां-बहन मानो, यह भाव लोगों में पैदा किया, ऐसा उपदेश व्यवस्था जब बनाया तब कोई कोढ़ी अपाहिज लंगड़ा लूला रामराज्य में होता नहीं था। सतयुग जैसा वातावरण बन गया - त्रेता भई कृत युग की करनी। कृत युग यानी सतयुग। 

द्वापर में जब कलयुग जैसा वातावरण बना तो अवतारी शक्ति ने संहार करा कर सुधारा

द्वापर में जब कंस का अत्याचार बढ़ा, जब औरत नंगी की जाने लगी, द्रोपदी की लाज जब लूटने लगे तब उस समय कलयुग जैसा वातावरण हुआ जैसा आज व्यभिचार अपहरण बलात्कार हो रहा है। जब कृष्ण ने एक घंटे में 56 करोड़ यदुवंशियों को खत्म करा दिया, 18 दिन के महाभारत में 11 अक्षुणी सेना को खत्म करा दिया तो सतयुग जैसा वातावरण हो गया। तो इस कलयुग में सतयुग तो आएगा। महापुरुषों की बात कोई गलत नहीं होती है। यह धार्मिक किताबें सत्य हैं लेकिन सतयुग में वही लोग रहेंगे जो सतयुग के लायक बन जाएंगे।

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