बराबर जयगुरुदेव नाम बोलने से सुख-दुःख भोगने में मदद मिलेगी, विश्वाश जमेगा तो गुरु आदेश तुरंत लागू करोगे फिर गुरुमुख बनने से कामयाब हो जाओगे

 जयगुरुदेव

प्रेस नोट: 27.11.2022 उज्जैन (म.प्र.) 

दया प्राप्त करने की समय सीमा होती है

गुरु की आज्ञा चाहे रैन में या सैन में या बैन में हो, तुरंत लागू करना चाहिए, अपनी कुव्वत भर निभा देना चाहिए



निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 18 जुलाई 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सन्तमत को अगर पकड़ लिया जाए तो फिर और किसी मत की जरूरत ही नहीं रह जाती क्योंकि हर मतवाले यही बताते हैं कि सत्य बोलो, हिंसा हत्या मत करो, भूखे को रोटी खिला दो, कपडा दे दो आदि। सन्तमत में इन सब चीजों का ज्ञान अपने आप आ जाएगा और इसमें बरकत मिल जाएगी क्योंकि कहनी और कथनी में अंतर नहीं रह जाएगा। जो कहेगा वह करेगा भी तो उससे बरकत, लाभ मिल जाएगा। शाकाहारी का उपदेश लोग करते हैं लेकिन शाकाहारी रह नहीं पाते हैं। कहते हैं शराब नहीं पीना चाहिए, शराब बुरी चीज है लेकिन भांग खा लेते हैं। कहते हैं शंकर जी की यह बूटी है। बम बम बम बोल कर के गांजा चिलम खींच लेते हैं। एक जहरीली चीज को अच्छा कहते हैं और दूसरी को खराब कहते हैं। गांजा शराब दोनों नशा लाते, मदहोश करते हैं। गुण तो दोनों में एक है। आकार और तरीका अलग-अलग है पीने का लेकिन काम दोनों का एक ही है। तो बचो। प्रेमियों! आप सब लोग भाग्यशाली हो जिनको सन्त मिले, सन्त सतगुरु जिनको कहा गया और सन्तमत की साधना आपको करने के लिए मिली। तो आप बराबर इस सन्तमत की साधना में लगे रहो। बराबर प्रयास और अभ्यास करते रहो और सन्तमत को आगे बढ़ाओ जिससे उन लोगों को भी लाभ मिल जाए। जितने भी लोग सन्तमत से जुड़े हो, चाहे पंथ ही बना लिए हो लेकिन सन्तमत के बारे में बताओ। जितनी जानकारी है उतना ही आप बताओ। आप उसी तरह से न रह जाओ जैसे और लोग लोकमत में फंसे हुए हैं। सन्तमत को लोकमत में न बदल दो। आप सन्तों से जुड़े हो, सन्तों की बातों को पकड़ो और सन्त के बताए हुए रास्ते पर आप चलो जिससे आप का और लोगों का कल्याण हो। आने वाली पीढ़ी भी इस चीज को पकड़े कि अपना कल्याण करना है।

ध्यान में शुरुआत में क्या-क्या दिख सकता है

सन्तमत की साधना में ध्यान लगाने के लिए आंख बंद करना और दोनों आंखों को एक जगह टिकाना और मन को रोकना। तो धीरे-धीरे कोई चीज आएगी, फिर हटेगी। फिर आगे निकलोगे तो क्या दिखाई पड़ेगा? आसमान।

दया प्राप्त करने की समय सीमा होती है

गुरुमुख किसको कहते हैं? गुरु के मुंह से जो निकले उसका तुरंत पालन करना चाहिए। वह होता है गुरुमुख। गुरु जब किसी चीज के लिए आदेश देते हैं तो उसके साथ दया जोड़ देते हैं और उसकी समय सीमा निश्चित कर देते हैं। क्योंकि हर काम का समय होता है और समय से अगर काम हो जाता है तब तो उसका फायदा दिखाई पड़ता है और समय जब निकल जाता है तब वह लाभ नहीं मिल पाता है। जैसे आप गेहूं बोते हो तो 21 दिन फिर 40 दिन के बाद उसको पानी मिल जाना चाहिए। जहां जैसी जमीन बारिश आदि होती है, वैसा वहां का नियम बना देते हैं। तो नियमानुसार पानी मिलने पर पौधा विकसित हो जाता है और पूरी पैदावार देता है। फल लगते हैं, टिकते है, गिरते नहीं है और अच्छी पैदावार हो जाती है यानी समय से होने पर फलदाई हो जाता है। और अगर 2-4 दिन देर करते हो, आलस्य करते हो या साधन-सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है तो आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाने से जो तत्व उसमें आने थे उसकी कमी हो जाती है। समय से जो काम करते हैं वह हमेशा आगे बढ़ जाते हैं, पीछे कभी भी नहीं रहते। गुरु की आज्ञा चाहे रैन में या सैन में या बैन में हो तुरंत लागू करना चाहिए। अपनी कुव्वत भर निभा देना चाहिए। तो ऐसे (गुरुमुख) लोग कोई टीका-टिप्पणी नहीं करते हैं क्योंकि गुरु पर विश्वास करते हैं और विश्वास ही फलदाई होता है। विश्वास अगर नहीं हुआ या नहीं किया तो यह मन कुलांचे भरता रहता है, स्थिरता दृढ़ता मजबूती नहीं लाने देता है। तो आदमी की इच्छायें होती है। उनके अनुसार परीक्षा लेकर देख लो कि इसमें कितने पर्सेंट फायदा हो रहा है, इसके हिसाब से देख लो। लेकिन विश्वास करो। जो वह कहे उन बातों को अमल करो। गुरु कहते हैं शाकाहारी रहो और आप मांस-शराब-अंडा-नशे की गोलियां खाते-पीते रहोगे तो कैसे आदेश का पालन कर पाओगे? कैसे गुरु की शक्ति का आपको इजहार हो पाएगा? कैसे आपको उन पर विश्वास हो पाएगा? लेकिन जो बात गुरु कहते हैं कि मुसीबत तकलीफ में जयगुरुदेव नाम बोलोगे तो रक्षा होगी। जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलोगे तो उसकी ताकत और बढ़ जाएगी, जबान पर जयगुरुदेव नाम भी आएगा, मुसीबत में वही नाम रट जाएगा, पल-पल वही रहेगा। जब जबान पर जयगुरुदेव नाम बराबर आता रहेगा तो चाहे दुख हो चाहे सुख हो, दोनों के भोगने में मदद मिल जाएगी तब विश्वास जमेगा। लेकिन अगर गुरु की बात को नहीं मानोगे तो कैसे विश्वास जमेगा? जब गुरु की बातों पर विश्वास हो जाता है और तुरंत लागू करता है तो वह गुरुमुख होता है और वही कामयाब होता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post